जैनियों के विश्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन में श्वेतांबर जैन धर्मावलंबियों ने धूमधाम के साथ भगवान पाश्र्वनाथ का निर्वाण दिवस मनाया. इस दौरान तीर्थयात्रियों ने सुबह चार बजे पारसनाथ पर्वत स्थित पाश्र्वनाथ टोंक पर निर्वाण लाडू चढ़ाया. इस क्रम में हर उम्र और हर वर्ग के श्रद्धालुओं में खाशा उत्साह देखने को मिला. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन के कारण इस बार सावन सप्तमी के अवसर पर भगवान पारसनाथ का मंदिर पूरी तरह से वीरान पड़ा रहा. हालांकि कुछ लोग भगवान पारसनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे. लेकिन उन्हें मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गयी. यंहा बता दें कि सावन सप्तमी के दिन हर साल यंहा देश – विदेश से श्रद्धालु पहुंचते है और सभी लोग गाजे – बाजे के साथ नाचते – गाते हुए पर्वत शिखर पर अवस्थित पारसनाथ मंदिर में पहुंच कर भगवान पासरनाथ को निर्वाण लाडू चढाते है. लेकिन इस बार यंहा का नजारा कुछ और रहा. बताया गया कि जैन धर्म के 23 वें तीर्थांकर भगवान पारसनाथ के निर्वाण को नमन करने के लिए मौक्ष सप्तमी मनाया जाता है. हजारों की संख्या में जैन यात्रियों ने भगवान पाश्र्वनाथ का दर्शन कर निर्वाण लाडू चढ़ाकर आर्शीवाद ग्रहण करते है. वहीं रात्रि में पहाड़ पर रात्रि जागरण का भी आयोजन किया जाता था. इस दौरान पूरा पारसनाथ क्षेत्र भगवान के जयकारों से गूंज उठता था. लेकिन इस बार यंहा पर किसी भी तरह का धर्मिक अनुष्ठान नहीं किया गया और न ही किसी को मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत दी गयी.